हाजी इमाम अली झारखंड के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रसिद्ध इतिहासकार के. के. दत्ता ने अपनी पुस्तक छोटानागपुर का इतिहास में लिखा है कि मौलाना अबुल कलाम आजाद के नजरबंदी से छूटने के बाद इमाम अली स्वतंत्रता संग्राम में इतने सक्रिय हो गए कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने उन्हें "खतरनाक बागी" करार दिया। के. के. दत्ता ने हाजी इमाम अली को छोटानागपुर के मोमिन समुदाय का सबसे प्रभावशाली नेता माना। 1919 और 1921 के सरकारी गजट में दर्ज है कि उनकी गतिविधियों से परेशान होकर जिला पुलिस अधीक्षक ने उन्हें "शातिर बागी" घोषित किया और उनकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की। इमाम अली की देशभक्ति, ईमानदारी और समर्पण ने उन्हें न केवल अपने समुदाय, बल्कि सभी धर्मों और समुदायों के लिए एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बनाया। झारखंड के छोटानागपुर क्षेत्र में गांधीजी के नेतृत्व में हुए अहिंसक आंदोलनों का नेतृत्व शेख इमाम अली ने किया। यह निबंध उनके जीवन, स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, परिवार और उनकी विरासत पर प्रकाश डालता है।